बुराई करना छोटी बुराई है, दूसरों का बुरा चाहना उससे बड़ी बुराई है और किसी को बुरा समझना सबसे बड़ी बुराई है। किसी को बुरा समझना किसी भी बुराई से कम बुराई नहीं है, अपितु सभी बुराइयों से भयंकर बुराई है। -स्वामी श्रीशरणानन्दजी

॥ हरि: शरणम्‌ !॥ ॥ मेरे नाथ ! ॥ ॥ हरि: शरणम्‌ !॥
॥ God's Refuge ! ॥ ॥ My Lord ! ॥ ॥ God's Refuge ! ॥

स्वामीजी का पसंदीदा भजन

मैं नहीं, मेरा नहीं, यह तन किसी का है दिया।
जो भी अपने पास है, वह धन किसी का है दिया।
देने वाले ने दिया, वह भी दिया किस शान से।
"मेरा है" यह लेने वाला, कह उठा अभिमान से
"मैं", ‘मेरा’ यह कहने वाला, मन किसी का है दिया।

मैं नहीं......

जो मिला है वह हमेशा, पास रह सकता नहीं।
कब बिछुड़ जाये यह कोई, राज कह सकता नहीं।
जिन्दगानी का खिला, मधुवन किसी का है दिया।

मैं नहीं......

जग की सेवा खोज अपनी, प्रीति उनसे कीजिये।
जिन्दगी का राज है, यह जानकर जी लीजिये।
साधना की राह पर, यह साधन किसी का है दिया।
जो भी अपने पास है, वह सब किसी का है दिया।

मैं नहीं......

Listen This Bhajan In The Voice Of Shri Bajrangi Soniji

॥ हे मेरे नाथ! तुम प्यारे लगो, तुम प्यारे लगो! ॥
॥ O' My Lord! May I find you lovable, May I find you lovable! ॥

For any suggestions or problems please contact us: feedback@swamisharnanandji.org