जिसका हॄदय पराए दु:ख से भरा रहे, वह सेवा कर सकता है; क्योंकि सेवा सुख देकर दु:ख लेने का पाठ पढ़ाती है। पराया दु:ख अपना हो जाने पर प्राणी दु:खी नहीं रहता; क्योंकि पर-दु:ख से दु:खी होने में जिस रस की निष्पति होती है, उसकी समानता किसी भी सुख-भोग में नहीं है।-स्वामी श्रीशरणानन्दजी

॥ हरि: शरणम्‌ !॥ ॥ मेरे नाथ ! ॥ ॥ हरि: शरणम्‌ !॥
॥ God's Refuge ! ॥ ॥ My Lord ! ॥ ॥ God's Refuge ! ॥

सन्तवाणी और जीवन विवेचन पुस्तक के नाम के बगल में कैसेट सं. दी गई हैं, सम्बन्धित पुस्तक यहाँ Audio Swamiji's Discourses ( सन्तवाणी के लिए ) एवं Audio Devakijimaa's Discourses ( जीवन विवेचन के लिए ) में सुना जा सकता है।

S.No Title Price(In Rs.)
1 सन्त समागम भाग-1 25
2 सन्त समागम भाग-2 15
3 सन्त समागम भाग-3 15
4 सन्त वाणी भाग-1 ( सफलता की कुंजी ) 15
5 सन्त वाणी भाग-2 ( कैसट सं. 1 से 6 तक ) 25
6 सन्त वाणी भाग-3 ( कैसट सं. 7 से 12 तक ) 15
7 सन्त वाणी भाग-4 ( कैसट सं. 13 से 22 तक ) 15
8 सन्त वाणी भाग-5 (क) ( कैसट सं. 23 से 27 तक ) 15
9 सन्त वाणी भाग-5 (ख) ( कैसट सं. 28 से 36 तक ) 15
10 सन्त वाणी भाग-6 ( कैसट सं. 33 से 37 तक ) 20
11 सन्त वाणी भाग-7 ( कैसट सं. 38 से 42 तक ) 20
12 प्रश्नोतरी (संतवाणी) 20
13 संत सौरभ (संतवाणी) 25
14 संत उद्बोधन 25
15 प्रेरणा पथ 25
16 संत पत्रावली भाग-1 20
17 संत पत्रावली भाग-2 20
18 संत पत्रावली भाग-3 15
19 जीवन दर्शन भाग-1 15
20 जीवन दर्शन भाग-2 15
21 चित्त शुद्धि भाग-1 20
22 चित्त शुद्धि भाग-2 25
23 जीवन पथ 15
24 मानव की मांग 20
25 मानव दर्शन 25
26 मूक सत्संग और नित्य योग 25
27 मानवता के मूल सिद्धान्त 15
28 सत्संग और साधन 15
29 साधन तत्व 10
30 साधन त्रिवेणी 20
31 दर्शन और नीति 15
32 दु:ख और प्रभाव 15
33 मंगलमय विधान 15
34 जीवन विवेचन भाग-१ (क) ( कैसट नं. 1 से 5 तक ) 20
35 जीवन विवेचन भाग-१ (ख) ( कैसट नं. 6 से 10 तक ) 20
36 जीवन विवेचन भाग-2 ( कैसट नं. 11 से 20 तक ) 30
37 जीवन विवेचन भाग-3 ( कैसट नं. 21 से 30 तक ) 30
38 जीवन विवेचन भाग-4 ( कैसट नं. 31 से 40 तक ) 30
39 जीवन विवेचन भाग-5 ( कैसट नं. 41 से 50 तक )
30
40 A Saint's call to Mankind 50
41 Sadhna Spot Light by a Saint 40
42 संत जीवन दर्पण 20
43 मानव सेवा संघ का परिचय-आचार संहिता सहित 15
44 साधन निधि 10
45 पाथेय भाग-1 10
46 पाथेय भाग-2 10
47 पथ प्रदीप 10
48 प्रार्थना तथा पद 5
49 मैं की खोज 5
50 जीवन विवेचन भाग-6 (क) 25
51 जीवन विवेचन भाग-6 (ख) 25
52 जीवन विवेचन भाग-7 (क) 20
53 जीवन विवेचन भाग-7 (ख) 25
54 क्रान्तिकारी सन्तवाणी 50
55 सन्त वाणी भाग-8 25

॥ हे मेरे नाथ! तुम प्यारे लगो, तुम प्यारे लगो! ॥
॥ O' My Lord! May I find you lovable, May I find you lovable! ॥

For any suggestions or problems please contact us: feedback@swamisharnanandji.org